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DIABETES मधुमेह
WHAT IS DIABETES?
मधुमेह क्या है?
मधुमेह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं।
इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है।
एलोपैथी औषधि (विषम चिकित्सा) रोग के प्रबंधन पर केंद्रित होती है, जबकि आयुर्वेद रोग की रोकथाम और यदि रोग उत्पन्न हुआ तो कैसे उसके मूल कारण को निष्काषित किया जाये, उसका ज्ञान प्रदान करता है।
आयुर्वद का ज्ञान पहले भारत के ऋषि मुनियों के वंशो से मौखिक रूप से आगे बढ़ता गया उसके बाद उसे पांच हजार वर्ष पूर्व एकग्रित करके उसका लेखन किया गया।
आजकल के इस भागदौड़ भरे युग में अनियमित जीवनशैली के चलते जो बीमारी सर्वाधिक लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रही है वह है मधुमेह। मधुमेह को धीमी मौत भी कहा जाता है।
यह ऐसी बीमारी है जो एक बार किसी के शरीर को पकड़ ले तो उसे फिर जीवन भर छोड़ती नहीं। इस बीमारी का जो सबसे बुरा पक्ष है वह यह है कि यह शरीर में अन्य कई बीमारियों को भी निमंत्रण देती है।
मधुमेह रोगियों को आंखों में दिक्कत, किडनी और लीवर की बीमारी और पैरों में दिक्कत होना आम है।
पहले यह बीमारी चालीस की उम्र के बाद ही होती थी लेकिन आजकल बच्चों में भी इसका मिलना चिंता का एक बड़ा कारण हो गया है।
आयुर्वेद के अनुसार हर व्यक्ति दूसरों के तुलना मे कुछ तत्वों से अधिक प्रभावित होता है। यह उनकी प्रकृति या प्राकृतिक संरचना के कारण होता है।
भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या हर रोज बढ़ रही हैं. लगभग हर 5 भारतियों में से 2 भारतीय को डायबिटीज की समस्या हैं. देखा जाए तो डायबिटीज खुद कोई भयानक बीमारी नही है बल्कि यह आपने बाद धीरे धीरे विभिन्न बीमारियों को न्योता देकर शरीर के अलग अलग अंगों नुकसान पहुंचाती है.
जैसे हम आसानी से देख सकते हैं कि शुगर के रोगी को आंखों व किडनी के रोग, सुन्नपन आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
डायबिटीज को कण्ट्रोल करने के लिए जितना महत्त्व दवा और व्यायाम का है उतना ही महत्व आहार या डाइट का हैं.
माना जाता है कि डायबिटीज के मरीज नॉर्मल रुटीन लाइफ नहीं जी सकते इसलिए उन्हें एकदम स्ट्रिक्ट डाइट लेना चाहिए.
आपको बता दें कि मधुमेह रोग के होने का कारण इन्सुलिन नामक हार्मोन का स्राव है. इसके होने के अन्य कारणों में आप अत्यधिक तनाव, वजन या उम्र का बढ़ना के साथ ही जेनेटिक कारण भी हैं.
यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें ज्यादा से ज्यादा परहेज ही आपको सुरक्षित रखता है. यदि आपने परहेज में कोई गलती की या एक आवश्यक निश्चित दिनचर्या का अनुसरण नहीं किया तो आपको उसी अनुपात में परेशानी ज्यादा झेलना पड़ सकता है
The term diabetes is the shortened version of the full name diabetes mellitus.
Diabetes mellitus is derived from the Greek word diabetes meaning siphon - to pass through and the Latin word mellitus meaning honeyed or sweet.
This is because in diabetes excess sugar is found in blood as well as the urine.
मधुमेह कैसे होता है
जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है।
इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है।
इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है।
पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है
और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
मधुमेह से होने वाला बड़ा खतरा
डायबिटीज के मरीजों में सबसे ज्यादा मौत हार्ट अटैक या स्ट्रोक से होती है। जो व्यक्ति डायबिटीज से ग्रस्त होते हैं उनमें हार्ट अटैक का खतरा आम व्यक्ति से पचास गुना ज्यादा बढ़ जाता है।
शरीर में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने से हार्मोनल बदलाव होता है और कोशिशएं क्षतिग्रस्त होती हैं जिससे खून की नलिकाएं और नसें दोनों प्रभावित होती हैं। इससे धमनी में रुकावट आ सकती है या हार्ट अटैक हो सकता है। स्ट्रोक का खतरा भी मधुमेह रोगी को बढ़ जाता है।
डायबिटीज का लंबे समय तक इलाज न करने पर यह आंखों की रेटिना को नुकसान पहुंचा सकता है। इससे व्यक्ति हमेशा के लिए अंधा भी हो सकता है।
मधुमेह के लक्षण :-
•ज्यादा प्यास लगना
•बार-बार पेशाब का आना
•आँखों की रौशनी कम होना
•कोई भी चोट या जख्म देरी से भरना
•हाथों, पैरों और गुप्तांगों पर खुजली वाले जख्म
•नसों में खिचवात हाथों और पैरों में , कमजोरी
•बार-बर फोड़े-फुंसियां निकलना
•चक्कर आना
•चिड़चिड़ापन
इन लक्षणों के अलावा सुस्ती, ब्लड प्रेशर और शरीर में रक्त की कमी होने पर भी सतर्क होने की आवश्यकता होती है। जैसे-जैसे ये लक्षण गंभीर होते दिखाई देते है तो लापरवाही बरतनी खतरनाक साबित हो सकती है।
1.डायबिटीज शोधन चिकित्सा:
में शरीर से दूषित तत्वों को शरीर से निकाला जाता है। इसके कुछ उदाहरण है - वमन, विरेचन, वस्ति, नस्य।
2.डायबिटीज शमन चिकित्सा:
में शरीर के दोषों को ठीक किया जाता है और शरीर को सामान्य स्थिति में वापस लाया जाता है।
Note:-(यह चिकित्सा डायबिटीज केयर पाउडर और मिनरल ड्राप के द्वारा आसानी से किया जा सकता है)
*आयुर्वेद के अनुसार मधुमेह से बचने के उपाय :-
1. के आर डायबिटिक केयर पाउडर :- सुबह शाम के आर डायबिटिक केयर पाउडर से मधुमेह प्राकर्तिक रूप से ठीक होते है।
2. नींबू में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, इसलिए इसका सेवन करें, यह आपके पूरे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करता हैं। इसके अलावा, फूड पॉइजनिंग का कारण बनने वाले विषाणुओं से छुटकारा दिलाने में मदद करता हैं।
3. तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फूड पॉइजनिंग में राहत पहुंचाते हैं। यह आपके पेट को भी आराम पहुंचाता है और फूड पॉइजनिंग के लक्षणों को दूर करता है।
4. फ़ूड पॉइज़न होने पर दिन में आप लहसुन की कच्ची कली का सेवन कर सकते हैं इसमें एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो खाने से हुए रोगों को दूर करने में मदद करता हैं।
5. विटामिन-सी में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो आपके शरीर से बैक्टीरिया और टॉक्सिन दूर करने में मदद करते हैं । यही कारण है कि विटामिन-सी फूड पॉइजनिंग होने पर काफी फायदा पहुंचाता हैं। अगर आप विटामिन-सी के सप्लीमेंट नहीं लेना चाहते, तो विटामिन-सी युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन अधिक करें।
6. आंवले में फूड पॉइजनिंग के दौरान होने वाली जी-मिचलाने और उल्टी आने की समस्या से राहत दिलाने में आंवला आपको फायदा पहुंचा सकता है। इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-सी होता है।यह पेट की समस्याओं को भी दूर करता है।
7. अदरक का सेवन करना इस समस्या में बहुत लाभकारी रहता है।अदरक में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो खाने से हुई समस्या को ठीक करने में मदद करता हैं।
8. जितना हो सके पेय पदार्थ पीजिए- पानी, डिकैफनेटेड चाय या जूस जो भी आप पी सकते हैं वो लें इससे आप तरल पदार्थ की कमी दूर कर सकते हैं और निर्जलीकरण को रोकने में भी ये मददगार होगा।
9 .शराब, दूध या कैफीनयुक्त पेय पदार्थों को पूरी तरह अवॉयड करने की कोशिश करें।
10. तुलसी में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं, जो फूड पॉइजनिंग में राहत पहुंचाते हैं। यह आपके पेट को भी आराम पहुंचाता है और फूड पॉइजनिंग के लक्षणों को दूर करता है। फूड पॉइजनिंग का यह उपाय काफी कारगर हो सकता है।
11. फूड पॉइजनिंग में उल्टी, दस्त लगते हैं, तो शरीर में पानी की कमी होने लगती है। अगर शरीर में पानी की कमी हुई,
तो समस्या और बढ़ सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप तरल पदार्थ का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। इसके अलावा आप नारियल पानी भी पी सकते हैं।
ध्यान रखें :-
गर्मियों के मौसम में कम और शुद्ध खाना ही सबसे बेहतर उपाय है। पेट खराब होने पर फैट और कम फाइबर वाली चीजों का सेवन करें क्योंकि अत्यधिक फैट को पचाना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में केला, चावल, केला आदि का सेवन करना चाहिए।
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Note:-परामर्श अनुसार ही दवाई लें
*मधुमेह से बचाव के यह कुछ उपाय आपके काम आएंगे :-
अपने ग्लूकोज स्तर को जांचें और भोजन से पहले यह 100 और भोजन के बाद 125 से ज्यादा है
तो सतर्क हो जाएं। हर तीन महीने पर HbA1c टेस्ट कराते रहें ताकि आपके शरीर में शुगर के वास्तविक स्तर का पता चलता रहे।
उसी के अनुरूप आप डॉक्टर से परामर्श कर दवाइयां लें।
1.अपनी जीवनशैली में बदलाव करें और शारीरिक श्रम करना शुरू करें। जिम नहीं जाना चाहते हैं तो दिन में तीन से चार किलोमीटर तक जरूर पैदल चलें या फिर योग करें।
2.कम कैलोरी वाला भोजन खाएं। भोजन में मीठे को बिलकुल खत्म कर दें। सब्जियां, ताज़े फल, साबुत अनाज, डेयरी उत्पादों और ओमेगा-3 वसा के स्रोतों को अपने भोजन में शामिल कीजिये।
इसके अलावा फाइबर का भी सेवन करना चाहिए।
3.दिन में तीन समय खाने की बजाय उतने ही खाने को छह या सात बार में खाएं।
4.धूम्रपान और शराब का सेवन कम कर दें या संभव हो तो बिलकुल छोड़ दें।
5.आफिस के काम की ज्यादा टेंशन नहीं रखें और रात को पर्याप्त नींद लें। कम नींद सेहत के लिए ठीक नहीं है। तनाव को कम करने के लिए आप ध्यान लगाएं या संगीत आदि सुनें।
6.नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराते रहें और शुगर लेवल को रोजाना मॉनीटर करें ताकि वह कभी भी लेवल से ज्यादा नहीं हो।
एक बार शुगर बढ़ जाता है तो उसके लेवल को नीचे लाना काफी मुश्किल काम होता है और इस दौरान बढ़ा हुआ शुगर स्तर शरीर के अंगों पर अपना बुरा प्रभाव छोड़ता रहता है।
7.गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। इस आटे की बनी चपातियां ही भोजन में खाएं।
8.मधुमेह रोगियों को अपने भोजन में करेला, मेथी, सहजन, पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, ब्रौकोली, टमाटर, बंद गोभी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल करना चाहिए।
9.फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, खरबूजा, कच्चा अमरूद, संतरा, मौसमी, जायफल, नाशपाती को शामिल करें। आम, केला, सेब, खजूर तथा अंगूर नहीं खाना चाहिए क्योंकि इनमें शुगर ज्यादा होता है।
10.मेथी दाना रात को भिगो दें और सुबह प्रतिदिन खाली पेट उसे खाना चाहिए।
11.खाने में बादाम, लहसुन, प्याज, अंकुरित दालें, अंकुरित छिलके वाला चना, सत्तू और बाजरा आदि शामिल करें तथा आलू, चावल और मक्खन का बहुत कम उपयोग करें।
12.मधुमेह पीड़ितों को नियमित रूप से डबल टोन्ड दूध का ही इस्तेमाल करना चाहिए. इसके साथ ही ये भी ध्यान रखें कि आपके खाद्य पदार्थों में कैलोरी की मात्रा कम से कम हो.
इसके लिए आप छिलका युक्त भुना हुआ चना, परमल, गेहूं या मूंग आदि कोई अंकुरित अनाज, सूप और सलाद इत्यादि का भरपूर इस्तेमाल करें. बताते चलें कि दही या छाछ के इस्तेमाल से ग्लूकोज की मात्रा में कमी आती है.
13.डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शक्कर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट रखना चाहिए. यदि हायपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखें तो तुरंत इनका सेवन करना चाहिए.
एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें. दो या ढाई घंटे में कुछ खाएं. एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं.
14.इसके साथ शुगर के मरीज को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए. इसके लिए दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन ज्यादा करना चाहिए. इंसुलिन ले रहे डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियां ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए. ऐसा न करने पर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है.
इसके कारण कमजोरी, अत्यधिक भूख लगना, पसीना आना, नजर से धुंधला या डबल दिखना, हृदयगति तेज होना, झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा में जाने जैसी विपत्ति का भी सामना करना पड़ सकता है.
15.एक खास हिदायत मधुमेह के मरीजों को उपवास करने से बचना चाहिए. इसके अलावा भोजन के बीच लंबा गैप भी नही करना चाहिए और रात के डिनर में हल्का भोजन करना चाहिए. इसके अलावा नियमित रूप से योगा और व्यायाम करने से भी ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है.
16.Diabetes में किन खाने-पीने की चीजों का सेवन करें :
खूब पानी पीएं ,अंगूर,अनार का रस, भारतीय ब्लैकबेरी, केला,सेब, अंजीर, काली बेरी, कीवी फल, खट्टे,फल,ककड़ी, सलाद पत्ता, प्याज, लहसुन ,मूली,टमाटर, गाजर, पत्तियों, पालक शलजम, गोभी और रंगीन सब्जियों, बिना शक्कर फलों के रस, कच्चा केला,कच्ची मूंगफली, टमाटर, केले,खरबूजे, सूखे मटर, आलू, सेब साइडर सिरका, स्किम्ड दूधपाउडर, गेहूं,दलिया, बादाम, मटर, अनाज,छोला, बंगाल चना , काला चना,दाल , मकई , सोया अंकुरित फलियां, रोटी,गेहूं की भूसी, whole grain bread,मट्ठा, दही, इत्यादि.
*आइए हम जानते हैं डायबिटीज के रोगी आइडियल डाइट चार्ट किस प्रकार होनी चाहिए और साथ ही कुछ खास हिदायतें किसी पर्टिकुलर स्थिति पर डायबिटीज को कंट्रोल करने के निर्देश :-
1.सुबह 6 बजे - एक ग्लास पानी में आधा चम्मच मेथी पावडर डालकर पीजिए.
2.सुबह 7 बजे - एक कप शुगर फ्री चाय, साथ में 1-2 हलके शक्कर वाली बिस्कुट ले सकते हैं.
3.नाश्ता / ब्रेकफास्ट - साथ आधी कटोरी अंकुरित अनाज और एक गिलास बिना क्रीम वाला दूध
4.सुबह 10 बजे के बाद - एक छोटा फल या फिर नींबू पानी
5.दोपहर 1 बजे यानी लंच - मिक्स आटे की 2 रोटी, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल, एक कटोरी दही, आधी कटोरी सोया या पनीर की सब्जी, आधी कटोरी हरी सब्जी और साथ में एक प्लेट सलाद.
6. शाम 4 बजे - बिना शक्कर या शुगर फ्री के साथ एक कप चाय और बिना चीनी वाला बिस्किट या टोस्ट या 1 सेब.
7.शाम 6 बजे - एक कप सूप पिएँ
8.डिनर - दो रोटियां, एक कटोरी चावल (ब्राउन राइस हफ्ते में 2 बार) और एक कटोरी दाल, आधी कटोरी हरी सब्जी और एक प्लेट सलाद.
9.बिना क्रीम और चीनी के एक गिलास दूध पिएँ. ऐसा करने से अचानक रात में शुगर कम होने का खतरा नहीं होता.
11.रोजाना इस डाइट चार्ट को फॉलो करने के साथ ही बताई गई कुछ एक चीजें और इस्तेमाल करें.
12.दरारा पिसा हुआ मैथीदाना एक या आधा चम्मच खाना खाने के 15-20 मिनट पहले लेने से शुगर कंट्रोल में रहती है और इससे और भी कई अंगों को फायदा होता है.
13.रोटी के आटे को बिना चोकर निकाले यूज़ में लाएं हर चाहें तो इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसमें सोयाबीन मिला लें.
14.घी और तेल का दिनभर में कम से कम इस्तेमाल करें.
15.सभी सब्जियों को कम से कम तेल का प्रयोग करके नॉनस्टिक कुकवेयर में पकाएं. हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं.